कुट्ळ निपट नाकार, नीच कपट छोङे नहीं |
उत्तम करै उपकार,रुठा तुठा राजिया ||
कुटिल और नीच व्यक्ति अपनी कुटिलता और नीचता कभी नही छोड़ सकते, जबकि हे राजिया ! उत्तम कोटि के व्यक्ति चाहे रुष्ट हो या तुष्ट, वे हमेशा दूसरो का भला ही करेंगे |
सुख मे प्रीत सवाय, दुख मे मुख टाळौ दियै |
जो की कहसी जाय, रांम कचेडी राजिया ||
जो लोग सुख में तो खूब प्रीत दिखाते है किंतु दुःख पड़ने पर मुंह छिपा लेते है, हे राजिया ! वे ईश्वर की अदालत में जाकर क्या जबाब देंगे |
समझणहार सुजांण, नर मौसर चुकै नहीं |
औसर रौ अवसांण,रहै घणा दिन राजिया ||
समझदार एव विवेकशील व्यक्ति कभी हाथ लगे उचित अवसर को खोता नही,क्यों कि हे राजिया ! अवसर पर किया गया अहसान बहुत दिनो तक याद रहता है |
किधोडा उपकार, नर कृत्घण जानै नही |
लासक त्यांरी लार,रजी उडावो राजिया ||
जो लोग कृत्धन होते है, वे अपने पर किए गए दूसरो के उपकार को कभी नही मानते,इसलिए,हे राजिया ! ऐसे निकृष्ट व्यक्तियों के पीछे धुल फेंको |
मुख ऊपर मिथियास, घट माहि खोटा घडे |
इसडा सूं इकलास, राखिजे नह राजिया ||
जो मनुष्य मुंह पर तो मीठी-मीठी बाते करते है,किंतु मन ही मन हानि पहुँचाने वाली योजनायें रचते है,ऐसे लोगो से, हे राजिया ! कभी मित्रता नही रखनी चाहिए |
अहळा जाय उपाय,आछोडी करणी अहर |
दुष्ट किणी ही दाय, राजी हुवै न राजिया ||
दुष्ट व्यक्ति के साथ कितना ही अच्छा व्यवहार और उपकार क्यों न किया जाए,वह निष्फल ही होगा,क्यों कि हे राजिया ! ऐसे लोग किसी भी तरह प्रसन्न नही होते |
गुण सूं तजै न गांस,नीच हुवै डर सूं नरम |
मेळ लहै खर मांस, राख़ पडे जद राजिया ||
नीच मनुष्य भलाई करने से कभी दुष्टता नही छोड़ता,वह तो भय दिखाने से ही नम्र होता है, जिस प्रकार,हे राजिया ! गधे का मांस राख़ डालने से ही सीझता (पकता ) है |
दुष्ट सहज समुदाय,गुण छोडे अवगुण गहै |
जोख चढी कुच जाय, रातौ पीवै राजिया ||
दुष्टों का समुदाय गुण छोड़ कर अवगुण ग्रहण करता है, क्योंकि यह उनका सहज स्वभाव है,जिस प्रकार,हे राजिया ! जोंक स्तन पर चढ़ कर भी दूध की जगह रक्त ही पीती है |
केई नर बेकार,बड करतां कहताँ बळै |
राखै नही लगार,रांम तणौ डर राजिया ||
कई लोग किसी की कीर्ति करने अथवा कहने से व्यर्थ ही जलने लगते है | ऐसे ईर्ष्यालु व्यक्ति तो परमात्मा का भी किंचित भय नही रखते |
चुगली ही सूं चून, और न गुण इण वास्तै |
खोस लिया बेखून,रीगल उठावे राजिया ||
जिन लोगो के पास चुगली करने के अलावा जीविकोपार्जन का अन्य कोई गुण नही होता,ऐसे लोग ठिठोलियाँ करते-करते ही निरपराध लोगो की रोजी रोटी छीन लेते है |
आछो मांन अभाव मतहीणा केई मिनख |
पुटियाँ कै ज्यूँ पाव , राखै ऊँचो राजिया ||
कई बुद्धिमान व्यक्तियों को सम्मान मिलने पर वे पचा नही पाते और उस अ-समाविष्ट स्थिति मे अभिमान के कारण पुटियापक्षी की तरह सदैव अपने पैर ऊपर (आकाश) की और किए रहते है |
गुण अवगुण जिण गांव, सुणै न कोई सांभळै |
उण नगरी विच नांव , रोही आछी राजिया ||
जहाँ गुण अवगुण का न तो भेद हो और न कोई सुनने वाला हो , ऐसी नगरी से तो,हे राजिया ! निर्जन वन ही अच्छा है |
कारज सरै न कोय, बळ प्राकम हिम्मत बिना |
हलकाऱ्या की होय, रंगा स्याळां राजिया ||
बल पराकर्म एवं हिम्मत के बिना कोई भी कार्य सफल नही होता | हे राजिया रंगे सियारों की तरह ललकारने से भी क्या होता है |
मिले सिंह वन मांह, किण मिरगा मृगपत कियो |
जोरावर अति जांह, रहै उरध गत राजिया ||
सिंह को वन मे किन मृगो ने मृगपति घोषित किया था | जो शक्तिशाली होता है उसकी उर्ध्वगति स्वत: हो जाती है |
Khas khabar
बुधवार, 10 फ़रवरी 2010
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किधोडा उपकार, नर कृत्घण जानै नही |
जवाब देंहटाएंलासक त्यांरी लार, रजी उडावो राजिया ||
जो लोग कृत्धन होते है, वे अपने पर किए गए दूसरो के उपकार को कभी नही मानते,इसलिए,हे राजिया ! ऐसे निकृष्ट व्यक्तियों के पीछे धुल फेंको |
मतलब री मनुहार चटक जिमावें चुरमों
जवाब देंहटाएंबिन मतलब मनुहार,राब ना पावें राजिया
काऴी घडी कुरूप कस्तुरी काटा तुले
जवाब देंहटाएंआ शक्कर घडी स्वरूप रोडा तुले राजिया।
घडी नहीं घणी स्वरूप नहीं चरुप
हटाएंहिम्मत किमत होय , बिन हिम्मत किमत नहीं ।करे न आदर कोय रद कागद ज्यूं राजिया ।।
जवाब देंहटाएंकाली भित करुप कस्तूरी काटे तुले।
जवाब देंहटाएंचक्कर बड़ी चरुप रोडा तुले राजिया।।
Paras Rathore Karda